Economics : अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था (Economics and Economy)

अर्थशास्त्र मानव की आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन करता है ! मानव द्वारा संपन्न वैसी सारी गतिविधियाँ जिनमे आर्थिक लाभ या हानि का तत्व विद्यमान हो, आर्थिक गतिविधियाँ कही जाती है !

अर्थव्यवस्था एक अधुरा शब्द है ! अगर इसके पूर्व किसी देश या किसी क्षेत्र-विशेष का नाम न जोड़ा जाये ! वास्तव में जब हम किसी देश को उसकी समस्त आर्थिक क्रियाओ के सन्दर्भ में परिभाषित करते है, तो उसे अर्थव्यवस्था कहते है ! आर्थिक क्रिया किसी देश के व्यापारिक क्षेत्र, घरेलु क्षेत्र तथा सरकार द्वारा दुर्लभ संस्थानों के प्रयोग, वस्तुओं तथा सेवाओ के उपभोग, उत्पादन तथा वितरण से संबंधित है !

  • अर्थव्यवस्था की परिभाषा - न्यून, मध्य तथा उच्च आय विश्व बैंक के वर्गीकरण के अनुसार प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रिय आय के आधार पर विश्व की अर्थव्यस्थाओ को निम्न चार वर्गों में बांटा गया है !

 अर्थव्यवस्था का प्रकार     

 प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रिय आय 

निची  आय वाली 

 US $ 995  या इससे कम 

निची मध्य आय वाली 

 US $ 996-3895

 उच्च मध्य आल वाली 

 US $ 3896-12055

 उच्च आय वाली 

 US $ 12055 या इससे अधिक 

नोट : यह वर्गीकरण विश्व बैंक के वित्तीय वर्ष ( 1 जुलाई, 30 जून) के प्रारंभ में किया जाता है !

निजी क्षेत्र और बाजार के सापेक्ष राज्य व सरकार की भूमीका के आधार पर अर्थव्यास्थाओ का वर्गीकरण तिन श्रेणियों में किया जाता है !

  1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था - इस अर्थव्यस्था में क्या उत्पादन करना है, कितना उत्पादन करना है और उसे किस कीमत पर बेचना है ! यह सब बाजार तय करता है, इसमें सरकार की कोई भी आर्थिक भूमीका नहीं होती है ! नोट : 1776 ई. में प्रकाशित एडम स्मिथ की  किताब the wealth of nations को पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का उदगम स्रोत माना जाता है !
  2. राज्य अर्थव्यवस्था - इस अर्थव्यवस्था की उत्पत्ति पूंजीवाद अर्थव्यवस्था के लोकप्रियता के विरोध स्वरुप हुआ! इसमें उत्पादन, आपूर्ति और कीमत सबका फैसला सरकार द्वारा लिया जाता है ! ऐसी अर्थव्यवस्थाओ को केन्द्रिकृत  नियोजित अर्थव्यवस्था कहते है, जो गैर बाजारी अर्थव्यवस्था होती है ! राज्य अर्थव्यवस्था की दो अलग- अलग शैली नज़र आती है ! सोवियत संघ के अर्थव्यवस्था को समाजवादी अर्थव्यवस्था कहते है जबकि 1985 ई. से पहले चीन की अर्थव्यवस्था को साम्यवादी अर्थव्यवस्था कहते है ! समाजवादी अर्थव्यवस्था के उत्पादन के साधनों पर सामूहिक नियंत्रण की बात शामिल थी और अर्थव्यवस्था को चलाने में सरकार की बड़ी भूमीका थी ! वही साम्यवादी अर्थव्यवस्था में सभी सम्पतियों पर सरकार का नियंत्रण था और श्रम संसाधन भी सरकार के अधीन थे ! नोट : पहली बार राज्य अर्थव्यवस्था सिद्धांत जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स (1818-1883 ई.) ने दिया था  जो एक व्यवस्था के तौर पर पहली बार 1917 ई. की बोलशेविक क्रांति के बाद सोवियत संघ में नजर आई ! इसका आदर्श रूप चीन (1949 ई.) में सामने आया !
  3.  मिश्रित अर्थव्यवस्था  - इसमें कुछ लक्षण राज्य अर्थव्यवस्था के मौजूद होते है तो कुछ लक्षण पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के, यानी सरकारी एवं निजी क्षेत्र का सहअस्तित्व ! द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद उपनिवेशवाद के चुंगल से निकलने दुनिया के कई देशो ने मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया ! इसमें भारत, मलेशिया एवं इंडोनेशिया जैसे देश शामिल है ! नोट : केंस ने सुझाव दिया था की पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर कुछ कदम बढ़ाना चाहिए जबकि प्रो.लांज ने कहा की समाजवादी अर्थव्यवस्था को पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर कुछ कदम बढ़ाना चाहिए !
  • बंद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमे न तो निर्यात और न ही आयात होता है , यानी ऐसी अर्थव्यवस्था को शेष विश्व के कोई सम्बन्ध नहीं होता है !
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र 
मानव के वे तमाम क्रियाकलाप जो आय-सृजन में सहायक होते है उन्हें आर्थिक क्रिया की संज्ञा दी गई है !आर्थिक क्रिया किसी देश के व्यापार क्षेत्र, घरेलु क्षेत्र तथा सरकार द्वारा दुर्लभ संसाधनों के प्रयोग, वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग. उत्पादन तथा वितरण से संबंधित है ! अर्थव्यवस्था की  आर्थिक गतिविधियों को तिन श्रेणियों के बांटा गया है, जिन्हें अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक कहा जाता है !
  1. प्राथमिक क्षेत्र - अर्थव्यवस्था का यह क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर होती है ! इन गतिविधियों का सम्बन्ध भूमि, जल, वनस्पति और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों से है ! कृषि पशुपालन, मतस्य पालन, खनन और उनसे सम्बन्ध गतिविधिओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है ! इसमें संलग्न श्रम की प्रकृति को रेड कॉलर जॉब के जरिये संकेतित किया जाता है !
  2. द्वितीयक क्षेत्र - अर्थव्यवस्था को वह क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को अपनी गतिविधियों में कच्चे माल की तरह उपयोग करता है ! द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है ! जैसे- लोहा, इस्पात, उद्योग, वस्त्र उद्योग, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि ! वास्तव में इस क्षेत्रक में विनिर्माण कार्य होता है, इस कारण भी इसे औद्योगिक क्षेत्रक कहा जाता है ! इसमें लगे कुशल श्रमिको को ह्वाईट कॉलर जॉब के अंतर्गत स्थान दिया जाता है जबकि उत्पादन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न श्रमिको को ब्लू कॉलर जॉब के अंतर्गत रखा जाता है !
  3. तृतीयक क्षेत्र - इस क्षेत्रक में विभिन्न प्रकार के सेवाओं का उत्पादन किया जाता है ! जैसे - बिमा, बैंकिंग, चिकित्सा, शिक्षा, पर्यटन आदि ! इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र के रूप में जाना जाता है !
  • तृतीयक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल राष्ट्रिय उत्पाद में सबसे अधीक योगदान करता है !
नोट : भारतीय अर्थव्यवथा एक श्रम आधिक्यवाली अर्थव्यवस्था है !

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